हिंदू धर्म में सावन के महीने का विशेष महत्व होता है। इस मास में लोग तरह- तरह के दान -पुण्य, पूजा -पाठ करते हैं अथवा मंदिरों में भी पंडितों द्वारा करवाए जाते हैं।
श्रावण मास में सावन के सोमवारों का भी विशेष महत्व होता है।इस दौरान भगवान शिव की पूजा- अर्चना की जाती है। उन्हें कच्चे दूध में जल मिश्रित कर अर्पण करने का प्रावधान होता है।
श्रावण मास में 4 या 5 सोमवारों को व्रत या उपवास कर ही भगवान शिव की पूजा की जाती है। वैसे तो सम्पूर्ण श्रावण मास ही श्रद्धालु भगवान शिव की सेवा पूजा में अर्पित करते हैं। परंतु, सावन के सोमवार के दिनों का अपना ही एक अलग एवम विशेष महत्व होता है।
शालिनी की मां ने उसे इस विशेष व्रत के बारे में बताया, जो सभी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला माना जाता है। शालिनी, जो कि भगवान शिव की अनन्य भक्त थी। खुशी- खुशी यह व्रत करने को तैयार हो गई। मां ने उसे सम्पूर्ण पूजा की विधि समझा दी एवम उसे सावन के सोमवार की व्रत कथा भी प्रदान की।
शालिनी सुबह सवेरे नहा - धोकर साफ - सुथरे वस्त्र धारण कर प्रतिदिन भगवान शिव की आराधना करने मंदिर में जाने लगी। वह वहां पर दुग्ध मिश्रित जल शिव भगवान को अर्पण करती। फिर स्वच्छ जल से उन्हें स्नान करवाती तथा शिव परिवार को भी स्नान करवा कर सभी के रोली- चंदन का टीका लगा उन्हें अक्षत चढ़ाकर फूल माला अर्पित कर प्रसाद चढ़ाती और दिया जला कर कथा कह कर अपनी मनोकामना मन-ही-मन उनके समक्ष बोल कर चली आती एवम घर पर भी इसी प्रकार पूजन करती।
जब आख़िरी सोमवार आया, तब वह नियमित रूप से पूजा- अर्चना करने मंदिर गई। अतः सभी कार्य पूर्ण कर वह घर आई। सभी कार्यों से निवृत्त हो दोपहर के समय सागार ग्रहण कर थोड़ी देर आराम करने के लिए लेटी, तो उसकी आंख लग गई। तब उसे स्वपन में भगवान शिव के दर्शन हुए। वह उसकी ओर मुस्कुरा रहे थे एवम उसे आशीर्वाद देकर वह अंतर्धान हो गए।
शालिनी हड़बड़ा कर उठी और अपनी आँखें मसलते हुए अपनी माता को इस विषय में बताने लगी। मां ने प्रेमपूर्ण उसके सिर पर हाथ फेरा एवम उसे उसके परीक्षा परिणाम के विषय में बताने लगीं कि जब वह सोई हुई थी, तब डाकिया उसका परीक्षा में उत्तीर्ण होने का संदेश लेकर आया था। एवम उसे अगले माह से ही उसके \\'ड्रीम जॉब \\'हेतु चुन लिया गया है।
वह यह सब बातें सुनकर खुशी से झूम उठी एवम मन ही मन भगवान शिव को कोटि - कोटि धन्यवाद कहने लगी। अगले माह जब उसने उसके \\'ड्रीम जॉब\\' हेतु ऑफिस \\'ज्वॉइन\\' किया, तो वहां सभी ने उसका तहे दिल से स्वागत एवम सम्मान किया।
कुछ दिन व्यतीत होने के पश्चात् सभी उसके कार्य की भूरी- भूरी प्रशंसा करने लगे एवम उसे भी सभी का व्यवहार पसंद आया। सभी ने उसके मृदुल स्वभाव की भी बहुत सराहना की। अतः वह दो वर्ष पश्चात् बहुत ही अच्छे एवम \'सम्माननीय पद\' पर पहुंच गई।
तो यह थी भगवान शिव के सावन के सोमवारों के व्रत की महिमा। परंतु, इसका अर्थ यह नहीं कि हम सिर्फ़ पूजा पाठ करने बैठ जाएं। हमें पूजा अर्चना एवम ईश्वर पर विश्वास करने के अतिरिक्त श्रम एवम मेहनत भी अवश्य करना चाहिए। क्योंकि उचित समय पर उचित कर्म करने पर उसका फल स्वतः ही प्राप्त हो जाता है।
Palak chopra
09-Nov-2022 04:11 PM
Shandar 🌸🙏
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Swati Sharma
10-Nov-2022 08:54 PM
Thank you
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Khan
08-Nov-2022 11:40 PM
Bahut khoob 😊🌸
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Swati Sharma
08-Nov-2022 11:46 PM
Dhanywaad 🙏🏻😊
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Mithi . S
08-Nov-2022 08:27 PM
Behtarin rachana
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Swati Sharma
08-Nov-2022 10:16 PM
Thank you so much
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